kaise bhool jau usko..
कैसे भूल जाऊ उसको
kaise bhool jau usko..
kaise bhool jau usko..
मिल जाएं तो बातें बिछड़ जाएं तो यादें रिश्ता ये कैसा है नाता ये कैसा है पहचान जिससे नही थी कभी अपना बना है वही अजनबी रिश्ता ये कैसा है नाता ये कैसा है तुम्हे देखते ही रहूं मैं मेरे सामने यूं ही बैठे रहो तुम करूं दिल की बाते मैं ख़ामोशियों से और अपने... Continue Reading →
आज कल खुश बहुत रहता हूं, बस उसके ख्यालो में ही जो रहता हूं, यारों ये इश्क़ की आँधी है, किसी के साथ की चाहत है हमें, क्यूंकि किसी से कुछ उम्मीदें बंधी है, वो APPLE सी सुन्दर है, मैं NOKIA सा 2626, वो दिन का सवेरा, मैं रात सा अँधेरा, उसके दिल में बसा... Continue Reading →
तेरी मुस्कराहट की वजह बनूँगातेरे लिए हर दुःख भी सहूंगातुझको हर ख़ुशी मैं दूंगाजब तक भी जिऊंगा साथ मैं दूंगा मुझे फर्क नहीं पड़ता कोई क्या कहता हैक्यूंकि अब इन आँखों में सपना तेरा रहता हैहर ख़याल में तुम हो ये दिल कहता हैमेरे दिल में साया बस तेरा रहता है भुला देना हर बात... Continue Reading →
क्यों है मेरा हृदय आज इतना हताशनिरंतर घट रही घटनाओं से निराश PLASTIC मन में नही है कोई सार्थक विचारजैसे हो गया मैं पूर्णतः निराधार CORONA स्तब्ध हूं परन्तु कारण विलुप्तशिथिल शरीर है लक्ष्य है गुप्तजीव हत्या मूल मंत्र बन चुका हैमनुष्य अधर्म राह बढ़ चला है DEPRESSION प्राकृतिक उपहारों को नष्ट करनादानव मानव अपना... Continue Reading →
खुदा से हमेशा दुआ ये करेंगेसंग जिए हैं अब तक संग ही मरेंगेचाहे कितना भी कोई अलग हमको कर लेजन्मों जन्म हम साथ ही रहेंगे चाहत भी तुमसे है इबादत भी तुमसे है होती है पल पल जो आहट वो भी तुमसे है खामोश हूँ पर दिल कह रहा है दिल को जो मिली वो... Continue Reading →
मेरी हर याद में तुम हो, मेरी हर बात में तुम हो, रातो को आते हैं जो मुझे, उन सुहाने ख्वाब में तुम हो। चलना तुम हमेशा मेरे साथ, रख कर मेरे हाथो में हाथ, करती रहना बस प्यार भरी बात, ढल जाये दिन या हो जाये रात, मैं समझूँगा तेरे हर जज़्बात, खूब करेंगे... Continue Reading →
तो दोस्तों हुआ कुछ यूं , शाम का समय हो चुका था, हम सभी अपने अपने कार्य से निवृत्त होकर घर आ चुके थे-पिताजी अपना दूरभाष लेकर अपने मित्रों से संपर्क कर रहे थे,और रोज़ की तरह माताजी भोजन को तैयारी में व्यस्त हो गई,मेरे पास कुछ आवश्यक कार्य थे , जिनको मैंने शीघ्र संपन्न... Continue Reading →
पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे. स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें । पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था । स्कूल में टाट पट्टी की अनुपलब्धता में घर... Continue Reading →