हमारी मातृभाषा
यह मेरा लिखा हुआ नहीं है, ये लेख , कविता , या जो भी है, बिल्कुल सत्य है | मेरे परदादा, संस्कृत और हिंदी जानते थे। माथे पे तिलक, और सर पर पगड़ी बाँधते थे।। फिर मेरे दादा जी का, दौर आया। उन्होंने पगड़ी उतारी, पर जनेऊ बचाया।। मेरे दादा जी, अंग्रेजी बिलकुल नहीं जानते... Continue Reading →