स्वार्थ परम कर्तव्य बन गया,
हंसी ठिठोली ले गई प्राण,

अपने लिए करते प्राकृतिक नुकसान,
फिर घड़ियाली आंसू रोए इंसान,

दिखावा करने की आदत,
रोकर सबके सामने बने महान,
वृक्ष कट रहे हर पल,

वायु प्रदूषित हो रही है,

जल हो गया विषैला,
प्रजातियां दुर्लभ हो रहीं है,

पुराणों में लिखा एक महापाप,
गर्भपात करना , नरक प्राप्त,
Kerela
जिसका कोई प्रायश्चित नहीं,
हर करम का फल भुगते, दिन रात,
अगले जन्म मिले जानवर योनि,
सूअर, गिद्ध, कौआ , सांप,
फिर मिले कोढ़ी मनुष्य योनि,
सिर्फ गर्भवती हत्या करदो आप,
गौ माता
नन्दी हत्या हो रही,
खुलेआम चलती कटार,
धर्म धंधे चल रहे,
डर में जी रहा समाज,

इन्हें भगवान से डर नहीं लगता,
झूठ बोलते जिह्वा नहीं लड़खड़ाई,
नास्तिक बनके, ज्ञान देते,
पता नहीं इनकी सांसे क्यों नहीं डगमगाई,
मेरा विश्वास भी अब ऊपर वाले से उठने लगा है,
ये पाप कबतक चलेगा , न जाने कब से चला है,
कब होगा कल्कि अवतार,
कब अधर्म का नाश होगा,
अगर हम इन्हे मिटाने लगे,
हर तरह सिर्फ विनाश होगा,
कल्कि
भावनाओं पर नियंत्रण कब तक रहे,
कोई अधर्मी जीता कब तक रहे,
हम ही तलवार उठा लेते है अब तो,
क्या पता कल हम रहे ना रहे,
भगवन प्रलय कब आएगी ।
Bahot sahi likha hai 👌
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अब प्रारंभ हो गया है प्राकृतिक विनाश
प्रत्यक्ष देख भी नहीं मानव को विश्वास
रमन उपाध्याय
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Bhot sundr likha h👌👌👌👌
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