
दौर था वो बचपन का,
सबकी बातों में लड़कपन था,

दिखावे से दुनिया चलती है,
ये सोचकर सब बातें बनती थी,

मिले कुछ दुश्मन ऐसे,
जो दिल में बस गए,

लड़ते लड़ते पता नहीं लगा,
कब सब ज़िन्दगी बन गए,

दोस्ती शब्दों की मोहताज नहीं है,
आसानी से लिख दूं, ये वो अल्फ़ाज़ नहीं है,

लिखने में इसे,ढूंढते है शब्दों की पनाह,
खत्म हो जाए किस्सों में, जनाब ये वो आगाज़ नहीं है,

मेरी खुशियां इतनी सस्ती हैं,
मेरी जान मेरे भाइयों में बसती है,

सब साथ रहे हमेशा,
इन सब से ही मेरी हस्ती है,

अरे मैं तो किताब लिखदूं, अगर कोई पढ़े तो
मेरे दोस्त ही इतने हैं,कोई हिसाब करे तो,

दिमाग कम दिल से ज्यादा सोचते हैं
मैं तो सबकुछ वार दूं इनपे, अगर कोई हां करे तो
किताब लिख सकता हूं,
Nice 👌
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Nice deep
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Waah
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Gjb bhai
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Kya baat hai frndship forever 👌
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Friendship forever
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Atiiiiiii sundr👌👌👌👌
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supeb bhai….love u
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supeb bhai…..love you…
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supeb bhai….. love you….bhut saara
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Nothing to say rather than… love u bro
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Thank you,par bhai नाम तो बता
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