
ये वाक्या मुझे फेसबुक पर मिला, जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया,
एक मजेदार ट्रेन के सफर की अद्भुत यादें ☺☺
काफी दिनों पहले मैंने train में *वाराणसी *से *जौनपुर *की यात्रा की थी। अगले स्टेशन पर ही एक बेहद तेजस्वी तथा आकर्षक महिला सामनेवाली seat पर आकर बैठ गयी, अब आप उनकी तथा मेरी बातचीत जरा ध्यान से पढ़िये…
महिला : ये ट्रेन जफराबाद station पर जायेगी?
मैंने ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी…
महिला : कितना दूर है?
मैं : थोड़ा दूर है, जब आनेवाला होगा मैं आपको बता दूँगा।
महिला : Thanks, वैसे आप क्या करते हो?
मैं : ला ग्रेजुएट हूँ वकालत कर रहा हूँ । आप क्या करती हैं?
महिला : मैंने तो भौतिक जगत से ऊपर उठकर अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित कर दिया है। अब मैं बहुत खुश हूँ। यीशु की महिमा अपरंपार है।
मैं : मैं तो भौतिक जगत में रहकर ही बहुत खुश हूँ, क्योंकि मैं श्रीकृष्ण के कर्मयोग का अनुसरण कर रहा हूँ, श्रीकृष्ण की महिमा अलौकिक है।

महिला : जी, सही बात है, वैसे आप प्रभु यीशु के विषय में जानते है?
मैं : इसकी ज़रूरत ही नहीं समझता।
महिला : क्यों?
मैं : यीशु से पूर्व ही हमारे देश में अत्यंत महान पुरुषों ने जन्म लिया है। मेरे वेद, उपनिषद मेरे लिये पर्याप्त हैं, मुझे यूरोप में जन्मे व्यक्ति की शिक्षा की आवश्यकता नहीं है।
महिला : चलिये अच्छी बात है, हालाँकि मैंने भी वेदों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है। उनमे कुछ त्रुटियाँ हैं।
(मेरी समझ में आ गया madam मुझे ईसाई बनाने का लक्ष्य लिये बैठी थी)
मैं : आपने सच में बहुत सूक्ष्मता से अध्ययन किया है?
महिला : जी, बिल्कुल…
मैं : धर्म के 5 लक्षण क्या-क्या है?
(महिला का पूरा वेद ज्ञान चीथड़े-चीथड़े उड़ गया, चेहरे पर ऐसा भाव दे रही थीं जैसे किसी कंपनी का वित्तीय विश्लेषण करने को कह दिया हो।)
मैं : क्या हुआ आपने बहुत ही सूक्ष्मता से अध्ययन किया है, 5 लक्षण तो बताइए!!!
महिला : वो मुझे याद नहीं आ रहे।
मैं : चलिये कोई बात नहीं मनुष्य के 3 गुण क्या-क्या हैं?
(अब तो यीशु की भक्त को पसीना ही आने लग गया। मेरे bag में tissue papers थे, मैंने एक निकालकर दे दिया। साथ ही आसपास के 5-6 लोग भी अब यह वाक-युद्ध बड़े ध्यान से सुनने लग गए।)
महिला : देखिये यीशु का मार्ग बेहद सरल है।
मैं : मैं कृष्ण के मार्ग पर ही खुश हूँ।

महिला : देखिये, हम यूनानी सभ्यता के ईसाई हैं, हमने मानव सभ्यता विकसित की है।
मैं : हम भी सिंधु घाटी के हिन्दू हैं और मानव सभ्यता सबसे पहले हमने विकसित की आप लोगों ने नहीं।
(अब तो आसपास के लोग तक महिला पर हँसने लग गए। सब अब महिला की ओर ही उत्सुकता से देख रहे थे। मैडम ने अपना मोबाइल निकालकर किसी को फोन लगाया, थोड़ी बात की और फोन काट दिया। तभी बाबतपुर आ गया था महिला उतरने के लिये उठी।)
मैंने कहा कि जफराबादअभी 2 स्टेशन आगे है,।
उसने कहा – नहीं, एक ज़रूरी काम आ गया इसलिए यहीं उतर रही हूँ।
फिर उसने हाथ बढ़ाते हुए बड़ी मायूसी से कहा – आपसे मिलकर ख़ुशी हुई।
मैंने भी हाथ मिलाते हुए कहा – मुझसे ज्यादा नहीं हुई होगी।
बस बेचारी चुपचाप बाबतपुर ही उतर गयी।
✒ तो इस सफर में हुई बातचीत का सार यही है कि आप अपने धर्म को जानिये वर्ना लोग आपके मुँह पर आपके धर्म की बुराई गिनाते रहेंगे तथा आप कुछ नहीं कह सकोगे। कम से कम धर्म के कुछ लक्षण तो याद रखिये।
क्या आपको ये बुरा नहीं लगता के , हर धर्म के लोग अपने धर्म के बारे में सब कुछ जानते हैं, सिर्फ हमारे धर्म को छोड़कर।
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