आओ तुम्हे एक कहानी सुनाता हूँ,
अपने हिंदुस्तान की खूबसूरती दिखाता हूँ,
लोनी से मेरठ तक बस के सफर में,
भीड़ ही मिली थी रास्ते भर में,
बड़े जतन करके थी एक सीट पायी,
उस सीट को पाने के लिए थी जुगत लगाई,
हाथ में Mobile ,कानो में Earphone,
बस हो गए Favourite गाने On,
आँखे खुली, मैं बस मौन था,
बैठा था बस में,लेकिन मैं कही गौण था,
एक सुन्दर दृश्य देख कर चेहरे पे मुस्कान आ गयी,
धर्म से ऊपर उठकर इंसनियत मेरे सामने आ गयी,
भीड़ में से एक बूढ़ा आता दिख गया,
देख मेरा मुसलमान भाई सीट छोड़ के उठ गया,
बिना जात देख कर,मेरा भाई एक बुजुर्ग का सम्मान कर गया,
ये देख कर मेरा गुरुर अपने देश के प्रति बढ़ गया,
ये खबर कभी सुर्खियों में नही आएगी,
और न इस पर कभी कोई बहस छिड़ पाएगी,
बस ये वो यादें हैं जो मुँह जुबानी सुनाई जाएगी,
और फिर भुला दी जाएंगी।
फिर ये खयाल आता है कि ये क्या है- हिन्दू मुसलमान,
आखिर है तो हम सभी इंसान,
पैरहन से पता लगाते है मज़हब किसी का,
नही बूझते उसका ईमान,
फिर मैंने रमन को ये बात बताई,
उसके चेहरे पर भी मुस्कान आयी,
मेरठ पहुँचकर हमने सबको ये बात बताई,
आज भी इंसानियत जिंदा है भाई,
खुश रहिये और खुशियाँ बाटते रहिये।
सच में, सिर्फ बुरे नहीं अच्छे भी लोग होते हैं…एक सुंदर प्रसंग बताया आपने।
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Superb mere bhaii
Jagruk karne k liye wah tune kya yukti lagayi
Acchi pahal..
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Bhot bdiya😊😊😊😊😊
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